Sunday, October 13, 2024
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चंद्रयान-3 में परमाणु तकनीक का उपयोग, क्या था इसका मकसद? क्यों इसरो के मिशनों के लिए साबित होगा फायदेमंद?

नई दिल्ली. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अब चंद्रमा की सतह पर स्थायी रूप से स्लीप मोड में है. फिर भी अंतरिक्ष यान से जुड़े हर नए खुलासे और सूचनाएं लोगों को आश्चर्यचकित कर रहे हैं. सबसे ताजा खुलासा यह है कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत चंद्रमा पर परमाणु तकनीक (Nuclear Technology) का उपयोग किया गया था. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान (Pragyan) रोवर को चंद्रमा तक ले जाने वाला चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल परमाणु तकनीक से संचालित है. दो रेडियोआइसोटोप हीटिंग इकाइयां (RHU) मॉड्यूल पर हैं, जो मौजूदा समय में चंद्रमा की कक्षा में हैं. ये एक वॉट ऊर्जा पैदा करती हैं. इस हीटिंग यूनिट की कार्यप्रणाली भविष्य में चंद्रमा पर लंबे समय तक चलने वाले परमाणु-आधारित मिशनों के लिए रास्ता तैयार करती है.

रेडियोआइसोटोप हीटिंग यूनिट (RHU) एक उपकरण है जो एक विशिष्ट आइसोटोप के रेडियोधर्मी क्षय से पैदा ऊर्जा का उपयोग करके गर्मी उत्पन्न करता है. जब एक अंतरिक्ष यान पर आरएचयू लगाया जाता है, तो उसका पहला काम अंतरिक्ष की ठंडक में यान पर लगे विभिन्न उपकरणों के लिए गर्मी का एक भरोसेमंद और लंबे समय तक चलने वाला स्रोत प्रदान करना होता है. यह उन मिशनों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो अत्यधिक ठंडे वातावरण में संचालित होते हैं. इसमें बाहरी अंतरिक्ष या अन्य खगोलीय पिंड शामिल हैं, जहां इलेक्ट्रिक हीटर जैसी पारंपरिक हीटिंग विधियां काम नहीं कर सकती हैं.

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